Saturday, August 19, 2017

Return of James Bond !!



काफी समय से चल रही अटकलों पर अंततः विराम लग गया। स्वयं डेनियल क्रैग ने ही इस बात की पुष्टि कर दी है कि जेम्स बांड सीरीज की आगामी ( याने 25 वी ) फिल्म में वे ही जेम्स बांड बनकर लौटेंगे। फिल्म का शीर्षक फिलहाल तय नहीं हुआ है अभी उसे बांड 25 कह कर ही बात की जा रही है। ब्रिटिश थिएटर से अपना कैरियर आरम्भ करने वाले डेनियल क्रैग की यह लगातार पांचवी और अंतिम  फिल्म होगी।  15 अगस्त को जब भारत स्वाधीनता दिवस मना रहा था तब यह ब्रिटिश एक्टर प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी फिल्म की रिलीज़ डेट 8 नवंबर 2019 घोषित कर रहे थे।  क्रैग की इस सुचना पर ट्विटर झूम उठा। ब्रिटेन और दुनिया भर के बांड प्रशंसकों ने इस खबर को ' टॉप ट्रेन्डिंग ' बना दिया। ब्रिटेन से प्रकाशित होने वाली ' जेम्स बांड इंटरनेशनल फैन मैगज़ीन ' के संपादक अजय चौधरी ने इसे फिल्म के प्रोडूयसर इयोन और एम् जी एम् के लिए भरपूर मुनाफे की और बढ़ते कदम बताया। डेनियल क्रैग अभिनीत चारों फिल्मों ने कमाई का रेकॉर्ड बनाया है।  यही वजह है कि जेम्स बांड के लिए अन्य अभिनेताओं पर  दो साल तक विचार करने के बाद  डेनियल के ही नाम पर मोहर लगाना पड़ी।   
जेम्स बांड फिल्मों का दर्शक वर्ग सुदूर अफ्रीका से ऑस्ट्रेलिया तक पाँचों महाद्विपों में फैला हुआ  है। भारत में भी इस काल्पनिक नायक के चहेतों की संख्या लाखों में है। इस पात्र को रचने वाले इयान फ्लेमिंग दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटिश नौसेना के लिए गुप्तचरी करते थे। युद्ध समाप्ति के बाद उन्होंने ' संडे टाइम्स ' के संवाददाता के रूप में काम करना आरम्भ किया। पत्रकारिता और जासूसी के कॉम्बिनेशन ने उनमे छुपे लेखक को जीवंत कर दिया। अपने दोनों पेशों के अनुभव के आधार पर ' जेम्स बांड ' को केंद्र में रखकर  उन्होंने कहानियां लिखना शुरू किया। फ्लेमिंग के अनुभवों का कैनवास बहुत विशाल था लिहाजा उनका रचा पात्र कई व्यक्तियों का मिश्रण है। वह ताकतवर है , हंसमुख भी , महिलाओ को अपने जाल में फंसाने वाला , ठन्डे दिमाग से ह्त्या करने वाला , नई  तकनीक का जानकार ,मौत को धता बताने वाला . 
 जेम्स बांड एक ब्रिटिश जासूस है जिसकी प्रतिबद्धत्ता अपने देश और अपनी महारानी के प्रति है। इस पात्र को लिखते वक्त फ्लेमिंग को अंदाजा नहीं था कि यह एक दिन ' लार्जर देन लाइफ ' इमेज बना लेगा। सीक्रेट सर्विस की बारीक डिटेल और पत्रकारिता की गहराई के अनुभव ने जेम्स बांड के चरित्र को जासूसों का पर्याय बना दिया है।जेम्स को एक कोड नाम भी दिया गया है ,डबल ओ सेवन।  इयान फ्लेमिंग का लेखकीय सफर महज तेरह  वर्षों (1953 -1966 ) का रहा था । इस अवधि में उन्होंने 14 उपन्यास और कई लघु कथाएँ लिखी। कहानियों की विषय वस्तु इतनी दिलचस्प रही कि लगभग सभी पर फिल्मे बनी। इन फिल्मों ने ' जेम्स बांड ' को कालजयी नायक बना दिया और फिल्मों की एक नयी श्रेणी दी  - बांड मूवी।  समस्त बांड फिल्मो में एक बात बहुत कॉमन है।  वह दुनिया को बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं करता। खतरों से बचकर दुश्मन को नेस्तनाबूत करते हुए वह मसीहा की तरह वापस लौटता है।  
 जेम्स बांड की फिल्मों को ब्रिटिश सिनेमा की  ' रॉल्स रॉयस ' भी कहा जाता है क्योंकि वे उत्कृष्टता की अपनी परंपरा को बरकरार रखे हुए है। फिर कौन भला इतने व्यापक कैनवास की फिल्म से अपने को जोड़ना नहीं चाहेगा ? जेम्स अपनी फिल्म में कई नामी गिरामी ब्रांड्स को अप्रत्यक्ष रूप से प्रमोट कर देता है , घड़ियों से लेकर लक्ज़री कार और शराब से लेकर सूट तक। यह सब इसलिए कि बांड की पिछली फिल्म ने कमाई का एक अरब डॉलर का शिखर छुआ था। भारतीय दर्शकों के लिए डेनियल क्रैग का मेहनताना भी जानना जरुरी है , वे इस बार अपनी फीस डबल ले रहे है। सिर्फ पंद्रह  करोड़ डॉलर !!

Thursday, August 10, 2017

मैडम तुसाद में एक लड़की भीगी भागी सी



'' एक धूप का टुकड़ा हमे थोड़ी देर के लिये उधार दिया गया था " अरुंधति रॉय के बुकर विजेता उपन्यास की यह लाइन मधुबाला के सम्पूर्ण जीवन को परिभाषित करती है । जिस उम्र में लोग अपना कैरियर संवारने का सपना देखते हैं उस उम्र में  सौंदर्य की इस  देवी ने दुनिया को अलविदा कह दिया था । छत्तीस बरस की उम्र इतनी भी ज्यादा नहीं होती कि आप सब को रुलाकर कब्र में जा लेटे । सत्तर फिल्मों का उनका सफर बीस सालों में थम गया था । मेडिकल साइंस ने साठ के दशक तक इतनी तरक्की नही की थी । आज जो सामान्य ऑपरेशन है वह उस समय लाइलाज था । मधुबाला के दिल मे छेद था । बदकिस्मती से एक छेद उनके नसीब में भी था । हिंदुस्तानी सिनेमा के अब तक के इतिहास की सबसे सुंदर इस अभिनेत्री को ' वीनस ऑफ इंडियन सिनेमा ' और ' भारत की मर्लिन मुनरो ' कहा जाता था । परंतु सौंदर्य मलिका प्रेम के मामले में कंगाल थी । कहने को वे आधुनिक शहर मुंबई में रहती थी परंतु पारिवारिक माहौल सोहलवीं सदी का था ।सितारा हैसियत होने के बाद भी उन्हें पार्टियों में जाने की इजाजत नहीं थी । उनके पिता उनकी और दिलीप कुमार की शादी के लिए कई मिन्नतों के बाद भी नही पिघले जबकि दोनों एक दूसरे के प्रेम में आकंठ डूबे हुए थे । पिता को नीचा दिखाने के लिए मधुबाला ने किशोर कुमार से हड़बड़ी में विवाह कर लिया । परंतु किशोर कभी अच्छे पति नही बन पाए । 1951 में फ्रैंक काप्रा उन्हें हॉलीवुड ले जाना चाहते थे परंतु इस बार पिता के साथ अंग्रेजी भी उनके आड़े आयी । फिर भी ' लाइफ मैगज़ीन ' के फोटोग्राफर जेम्स बुर्के ने उनकी कुछ तस्वीरे  लाइफ में छपवा दी । भारत के बाहर किसी सिने तारिका के फोटो छपना और उनका सनसनी मचा देना पहली घटना थी । किशोर कुमार के साथ अच्छे पलों में आई उनकी फिल्म ' चलती का नाम गाड़ी ' का गीत ' एक लड़की भीगी भागी सी , सोई रातो में जागी सी ' आज भी सदाबहार रोमैंटिक गीतों में शुमार है । इसी तरह 1949 में आयी ' महल ' में उनके लिये लता मंगेशकर का गाया  ' आएगा आने वाला आएगा ' गीत लता मंगेशकर की सफलता के  लिये टर्निंग पॉइंट बना । ऐन वेलेंटाइन डे पर जन्म लेने वाली मधुबाला की बदकिस्मती ने  मौत के बाद भी उनका पीछा नही छोड़ा । मृत्यु के बाद उन्हें बांद्रा के कब्रिस्तान में दफनाया गया था परंतु सन दो हजार में कब्रिस्तान में जगह की कमी के चलते कुछ कब्रो को हटाना जरूरी हो गया था । लिहाजा अन्य कब्रो के साथ मधुबाला की कब्र भी हटा दी गई । आज कोई भी दावे के साथ नही कह सकता है कि मधुबाला कहाँ दफन है।
चर्चित लोगों के पुतले बनाकर प्रदर्शनी लगाने वाले अंतरराष्ट्रीय म्यूज़ियम ' मैडम तुसाद ' ने मधुबाला को हाल ही में अपने संग्रह में शामिल कर आदरांजलि दी है । लाखों दिलों की धड़कन मधुबाला को अब  सिने प्रेमी 'मुगले आजम ' की अनारकली के रूप में निहार सकते है । 

दिस इस नॉट अ पोलिटिकल पोस्ट

शेयर बाजार की उथल पुथल में सबसे ज्यादा नुकसान अपने  मुकेश सेठ को हुआ है। अरबपतियों की फेहरिस्त में अब वे इक्कीसवे नंबर पर चले गए है। यद्ध...